Monday 5 March 2018


बरसो पहले प्रथा कुछ और  थी पहले काम के आधार पर जाति हुआ करती थी , फिर जाति के आधार पर काम होने लगे फिर चलन हुआ की मजदूर का बेटा मजदूर होगा तो किसान का बेटा किसान  और जमींदार का बेटा जमींदारसमय बितने लगा देश गुलाम हुआ फिर आजाद हुआ समय और बीतने लगा, लोग और लोगो की समझ बढ़ने लगी पर काम और जाति का ये सिलसिला युंही आगे बढ़ता रहा फिर देश में विकास की बयार आने लगी लोग पढने आगे और आगे बढ़ने लगे पर लोगो को समझ अब भी ना थी पढ़े भी सही और आगे बढे भी सही !! फिर से वही आलम हुआ फिर बस इस बार जाति जो है उसने काम का रूप ले लिया अब होने लगा कुछ ऐसा जो इंजिनियर बना उसके बेटे को भी इंजीनियर बनना होगा, डॉक्टर के बेटे को भी डॉक्टर बनना होगा व्यापारी के बेटे को व्यापार करना होगा …. वक्त तो बदला देश भी बदलने लगा वक्त और देश दोनों ने ही बदलने में एक रफ़्तार सी ली मगर लोगो के बदलने की और उनके सोच बदलने की रफ़्तार धीमी रही!!
फिर बदलते वक़्त और देश के साथ  लोगो की सोच भी बदलने लगी शिक्षा का स्तर उठने लगा फिर कोई इंजिनियर कोई डॉक्टर कोई चार्टर्ड अकाउंटेंट कोई वकील कोई जज होने लगाऐसे में सामान्य बुद्धि वाले औसतन दिमाग रखने वाले बच्चो पर समाज और परिवार का दबाव बढ़ने लगा फिर ये देखा जाने लगा की किसी रिश्तेदार का बच्चा डॉक्टर है तो मेरा बच्चा भी डॉक्टर ही बनेगा पडोसी का बच्चा अगर सी. ए. है तो मेरा बीटा भी वही बनेगा ऐसे में उनके अन्दर की कलाओं को दबा कर उनके औसतन दिमाग को किसी मजदूर की भांति वजन उठाने पर मजबूर किया जाने लगा परिणामस्वरूप परिवार और समाज की उम्मीदों के बोझ तले आत्महत्याओं का दौर चल निकला
देश बदला, समाज बदला, शिक्षा का स्तर भी बदला, मगर माता पिता आज भी इस प्रतिस्पर्धा में लगे हुए की मेरा बच्चा उसके बच्चे से कम कैसे…. उसका बच्चा सी.ए. है तो मेरा क्यों नहींइतने परिवर्तन के बाद भी आज लोग 21वी सदी में होने क बाद भी भेड़ चाल को ही अपनाए हुए है जबकि आज की दुनिया बहुत आगे है आज की दुनिया में जितना स्तर पारम्परिक शिक्षा का है उतना ही आधुनिक शिक्षा का भी है!! आज का युग केवल सी ए , इंजीनयर, डॉक्टर, वकील यही सारी शिक्षा नहीं बल्कि कलात्मक विधाओं और शिक्षा का युग हैआज का ये युग भेड़ चाल का युग नहीं है यहाँ करियर फोटोग्राफी में भी है, इन्टरनेट चलाने में भी है, सोशल मीडिया में भी है सजावट जिसे इंटीरियर डेकोरेशन कहते है उसमे भी है और फैशन डिज़ाइन में भी है, ऐसी कई आधुनिक शिक्षा है जिनमे लोग लाखो की कमाई कर रहे है फिर चाहे वह वेब डिजाईन हो या फिर ग्राफ़िक डिजाईन या  कोई स्केचिंग हो या एनीमेशन आज का युग  है यहाँ भेड़ चाल चलो ये आवश्यक नहीं है यहाँ जरुरत है दिल की सुनने की और सही को चुनने कीअपने अन्दर की कला को पहचानने की और उसकी गुणवत्ता को निखारने कीतो भेड़ चाल छोडोदिल की सुनो और सही को चुनो
 

                                                            महेश पालीवाल
                                                            युवा संरक्षक :
                                                            प्रबन्धक : कैरियर ज्ञान केंद्र, देवगढ़

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